Tuesday, 25 November 2014

Anxiety

                                            Anxiety (चिंता,घबराहट,बेचैनी ) 

                                   

परिचय:-

         Anxiety से अभिप्राय व्यक्ति को होने वाली चिंता या घबराहट से है। चिंता होना एक आम बात है । यह किसी भी व्यक्ति को किसी भी कारण  हो सकती है। चिंता मनुष्य के जीवन का अभिन्न हिस्सा है यदि चिंता न होगी तो व्यक्ति अपने लक्ष्य की प्राप्ति नहीं कर पाएगा इसलिए जीवन में चिंता होना भी आवस्यक है । 
         किन्तु यदि चिंता अकारण हो जाए या अत्यधिक हो जाए तो जीवनशैली पर विपरीत प्रभाव डालती है । 
और जब चिंता या घबराहट इस प्रकार का रूप ले लेती है तो इसे चिंता रोग (Anxiety Disorder  ) कहते है ।   

कारण:-

        चिंता होने के अनेक कारण  है जिनमे पारिवारिक ,सामाजिक ,आर्थिक , काम से जुडी बाते  कारण  बन जाती है    
रोटी कपडा मकान से लेकर
* परीक्षा 
* इंटरव्यू 
* रोजगार 
* बच्चो की शादी 
* कर्जा 
* वाद विवाद 
* हिंसक घटना 
* दुर्घटना 
* शोक सन्देश 
* अपराध की भावना
* कोई कार्य अधूरा रह जाना  
* किसी भी प्रकार का दबाव 
            आदि चिंता होने के कारण होते है  छोटी से छोटी बात भी चिंता  का कारण बन जाती है
  कई मामलो में घबराहट अनुवांशिक मानी  जाती है जिसमे माता-पिता से बच्चे  को हो जाती है । 
उपरोक्त घटनाओ के कारण  मस्तिष्क के (बायोकेमिकल ) में असमानता आजाती है  जो चिंता का बड़ा कारण है।

लक्षण:-

१  स्वभाव में परिवर्तन 
 * चिड़चिड़ापन 
 * नींद न आना 
 * किसी काम में मन न लगना 
 * कुछ गलत होने का डर  
 * बीमारी का डर 
 * खुद पे विश्वास न कर पाना 

            कुछ चिंताए ऐसी होती है जो अनावश्यक होती है जिसमे व्यक्ति अपना साधारण जीवन जीता है किन्तु  उसे बिना किसी कारण चिंता हो जाती है और लगातार रहती है इसे (Generalized anxeity disorder ) कहते है 
इसमें -
* पसीना आना 
* साँस फूलना 
* जल्दी थक जाना 
* मुंह  सूखना  
* उबाक आना 
* उल्टी  आना
* चककर आना 
* मांस पेशियों में तनाव   
 आदि लक्षण पाए जाते है । 


ये करे :-

* चिकित्सक के परामर्श के अनुशार  दवाई लेते रहे । 
* बार बार पानी पिये । 
* मुंह सूखने पर सौंफ चबाए । 
* खुद को व्यस्त रखे । 
* प्रतिदिन प्रातःकाल घूमने जाए । 
* हल्का व्यायाम करें । 
* घबराहट होने पर आँखे बंद कर के लम्बी सांसे ले । 
* सकारात्मक पुस्तक पढ़े । 

ये न करे:-

* चिकित्सक के परामर्श के बिना दवाई न ले। 
*  बिमार व्यक्ति के सामने चिन्तायुक्त  बात न करे।
* नशीले पदार्थ का सेवन न करे ।
* तनावपूर्ण माहोल से बचे 




                        

Monday, 24 November 2014

Depression

                            Depression (उदासी,अवसाद )

परिचय:- 

                     मनुष्य का शरीर प्रकृति की सर्वश्रेष्ठ मशीन है और मशीन में खराबी आना लाजमी है  मनुष्य के शरीर में विभिन्न प्रकार की बीमारिया आती जाती है जिस प्रकार बाकि बीमारिया होती है ठीक उसी प्रकार अवसाद दिमाग से संबंधित एक रोग है। आनुवंशिकता,बायोकेमिकल,वातावरण एवं मनोवैज्ञानिकता आदि अवसाद के कारण है। अवसाद के होने का कोई एक कारण  नहीं है। चिकित्सक के इलाज व परिवार के सहयोग से इस रोग से भी निजात पाई जा सकती है। इस रोग का पता चिकित्सक  परामर्श के अनुसार  एम.आर.आइ.  मशीन द्वारा जाँच करा के पता लगाया जा सकता है कि अवसाद ग्रस्त दिमाग स्वस्थ दिमाग से भिन्न क्रियाशील होता है। दिमाग के जिस हिस्से से नींद,भूख,विचार,स्वाभाव आदि नियंत्रित होते है वह असामान्य तरीके से कार्य करने लगता है इसका इलाज संभव है बस थोड़ा समय लगता है। 

लक्षण :-

                  अवसाद होने पर मनुष्य में शारीरिक व मानशिक रूप से असामान्य लक्षण  आने लगते है। 
१.  स्वभाव में परिवर्तन:-
                           अवसाद ग्रस्त व्यक्ति के स्वाभाव में परिवर्तन होने लगता है ऐसे में वो असहज महसूस करने लगता है तथा नकारात्मक विचार करने लगता है। कोई भी कार्य करने में मन न लगना , चिड़चिड़ापन आजाना , ख़ुशी और गम की बातो का अहसास न होना। यदि अवसाद अधिक हो जाए तो  ऎसे में व्यक्ति स्वयं को नुकसान पहुचने की कोशिस  कर सकता । 

२. नींद में कमी :-
                       व्यक्ति को जब नकारात्मक विचार आते है तो घबराहट के कारण नींद नहीं आती या कम आती है या रात  को जल्दी उठ जाना और फिर नींद न आना। यदि यह 2 हफ्ते से ज्यादा होता है तोतो यह अवसाद का लक्षण है। 

कारण :-

                मनुष्य जिस प्रकार के माहोल में रहता है उसके दिमाग पे उस माहोल ले अनुकूल ही प्रभाव पड़ता है 
 परन्तु कभी-कभी मनुष्य के न चाहने पर भी घर-परिवार , आस-पड़ोस ,व्यवसाय , दफ्तर आदि में ऐसा माहोल बन जाता है कि व्यक्ति के दिमाग पर प्रतिकूल अर्थात बुरा असर पड़ने लगता है  जिनसे उसे 
* मानशिक आघात 
* सदमा 
* तनाव 
   आदि का सामना करना पड़ता है जिनकी वजह से वह अवसाद में चला जाता है 
* वहम होता है 
* डर होता है 
* कुछ भी बुरा होने की आसंका हो । 
* अकेलापन होता है 
* नशे का शेवन करता हो 
* खराब बचपन  रहा हो 
   तो वह व्यक्ति अवसाद में चला जाता है।
                  अवसाद को को आनुवंशिक माना जाता है अर्थात यदि माता पिता में से किसी को अवसाद है तो उनकी संतान को भी यह हो सकता है । अर्थात उक्त कारणों से ये किसी को भी हो सकता है। 
    कुछ दवाई भी ऐसी है जो अवसाद का कारण  बनती है जैसे - ब्लड प्रेसर काम करने की दवा 

ये करे :- 

         * यदि आप अवसाद से पीड़ित है तो  चिकित्सक के परामर्श अनुसार दवाई का सेवन करते रहे 
         * स्वयं को किसी न किसी कार्य में व्यस्त रखे । 
         * रोजाना सुबह २ किलोमीटर घूमने जाए । 
         * स्वयं को तनाव से मुक्त रखे । 
         * भ्रामरी प्राणायाम करे 

ये न करे :-

         * दवाई को एक दिन भी लेना न भूले । 
         * चिकित्सक के कहे बिना दवाई बंद न करे । 
         * किसी भी प्रकार के  नशीले  पदार्थ का सेवन न करे 
         *तनाव पूर्ण माहोल / गमगीन माहोल में जाने से बचे। 
         * बीमार व्यक्ति के सामने रोग का जिक्र न  करे